पूर्वानुमान
नोटबन्दी के अनुभव अपेक्षा से कुछ घट कर रहे और इसकी समस्यायें मुख्यत: उन अपराधियों के कारण पैदा हुई जिसका पूर्वानुमान कोई कर नहीं सकता था। इससे एक माह पहले 2 अक्तूबर की अपनी पोस्ट में मैंने लिखा था :
”यदि आप बहुत ध्यान से देखें तो मोदी ने एक महान और दूसरों के लिए अकल्पनीय लक्ष्य को हासिल करने का संकल्प लिया है। बहुतों को तो स्वच्छता का अर्थ भी समझ में नहीं आया। यह था मलिनता और कलुषता के सभी रूपों से मुक्ति। जिसे सभी देख सकते हैं, उससे आरंभ करके नैतिक, भौतिक और सांस्कृतिक सभी तरह के कल्मषों से मुक्ति की महायात्रा का आरंभ किया और मैं हैरान रह गया इस व्यक्ति के साहस पर। हैरान इस बात पर भी कि मेरा बचपन किसी अन्य व्यक्ति में कैसे बचा रह गया है। मेरे बचपन का सार सूत्र था, जो हो सकता है परन्तु किसी ने नहीं किया वह मैं करूंगा। कई उदाहरण हैं और कई बेवकूफियां। कभी अपनी कथा लिखने की नौबत आई तो गिनाऊंगा। एक तो ऐसा जिसमें मैं अपनी आंखों की रोशनी गंवाते गंवाते रह गया। उनकी चर्चा में समय नष्ट होगा। मैं अपने बचपन से बाहर नहीं निकल पाया। आज भी सोचता हूं जिसे कहने का साहस किसी कारण से, किसी दूसरे में नहीं बचा है, उसे मैं कहूंगा। मेरा पूरा लेखन एक वाक्य में यही तो है।”
जब दूसरे लोग केवल इसकी कमियां गिनाने और लोगों को भड़काने पर अपनी ऊर्जा व्यय कर रहे हैं, भारतीय जन के साथ मेरे विश्वास और धैर्य का यही कारण है।