है दिल अपना, दिमाग अपना नहीं है ।
पता मैंने किया, पाया सही है ।
बहुत प्यारा, सलोना था यह कोना
जब अपनी आंख थी अपनी नजर थी
मगर चश्मा चढ़ा ब्लिंकर सजा तब
यह कहता, देखता उनकी कही है ।
गया था मीर बनने मुफलिसी में
जुटाया और भरा जो हाथ आया
है यह रंगीन भूसों का भुसौला
हमारे काम का कुछ भी नहीं है ।
चलो फिर से पढ़ें अपना ककहरा
बनायें खुद ही अपने ईंट गारे
सजोयें अपने बिखरे सोच सपने
सिवा इसके कोई चारा नहीं है ।।