गर ढूंढ रहे हो मेरी आंखों में अंधेरा
पुतली में है मैं जिससे तुम्हें देख रहा हूं
तुम सोचते थे तुम तो छिपे हो जहान से
तुम जिसको छिपाते हो उसे देख रहा हूं।
किस्मत ही मिली ऐसी कि बस देखना है काम
अंधेर के हमतर्जो के ढब देख रहा हूं।
कुछ लोग पूछतें है, ‘तुझे कुछ दीखता भी है ?’
जो सोच रहे हैं मैं उसे देख रहा हूं ।
तुम सोचते हो क्या मिला भगवान को इससे
भगवान तो हमजल्स है और देख रहा हूं ।।
4.11.16