तुम सोचना हम मर के भी जिन्दा हैं किस तरह
तुम सोचाना मरते हुए जिन्दा हैं किसलिए ।
तुम सोचना मकसद में कामयाब हुए क्या
तुम सोचना क्या क्या दिए औरों से क्या लिए ।
तुम सोचना भगवान को क्यों मानते हैं हम
जब उसको न जाना न तो देखा ही किसी ने
तुम सोचना भगवान के थे जो भी घरौंदे
विज्ञान ने क्यों सारे घरौंदे मिटा दिए ।
तुम सोचना हम सोचने से डरते हैं क्यों कर
तुम सोचना हम कह के मुकर जाते हैं क्यों कर
तुम सोचना हम अब भी कहीं हैं कि नहीं हैं
तुम सोचना क्या जुल्म खयालात ने किए।
गर सोच न पाओ तो मेरे पास तो आना
मिल बैठ के सोचेंगे बेडि़यों के शिकंजे
हमने ही गढ़े, हमने ही चमकाये थे लेकिन
उन बेडि़यों को हंसते हुए क्यों पहन लिए ।।