क्या थे कल तक देखते ही देखते क्या बन गए ।
अपने बारे में भी सोचो क्या थे और क्या बन गए ।
है बहुत मुश्किल बयां करना मगर आसां भी है
तुम अगर मुजरिम थे तो मुसिफ कहां से बन गए ।
क्या थे कल तक देखते ही देखते क्या बन गए ।
अपने बारे में भी सोचो क्या थे और क्या बन गए ।
है बहुत मुश्किल बयां करना मगर आसां भी है
तुम अगर मुजरिम थे तो मुसिफ कहां से बन गए ।