मैं चाहता हूं तुम भी करो अपने दिल की बात
देखें तो वहां क्या है और कितने जुगों से ।
मैं चाहता हूं तुमको भी देखूं करीब से ।
बुत हो या बुतपरस्त हो और कितने जुगाें से ।
मैं चाहता हूं तुमको भी इंसान बनाना
किसकी धुनों पर नाचते हो कितने जुगाें से।
मैं चाहता हूं नीद से गफलत की उठो तुम
सपनों में कैद कबसे हो और कितने जुगों से ।
000
बुरा नहीं है जमाना मगर भला भी नहीं
जिस से टकराता था सिर आज बह मिला ही नहीं
उम्र के साथ क्या हर चीज बदल जाती है
पीछे चलता था तेरे अब वह काफिला भी नहीं
न हकीकत में मगर याद में बहुत कुछ है
था कभी, अब न रहा, देखिए गिला भी नहीं।
मुझे भी देख, तेरे सामने हूं देख तो ले
न बुरा सोचा कभी आज तक भला भी नही।
16.10.16
000