Post – 2016-10-11

मैं उस जगह नहीं हूं जहां तुम कभी रहे
पर फिर भी उस जगह के आसपास कहीं हूं।
मैं ढूंढ़ रहा हूं तुम्‍हें पर तुम नहीं मिलते
मिलने की लकीरों के आसपास कहीं हूं।
ऐ मेरे सनम पर्दो पर पर्दे हैं किसलिए ।
दिल तक न पहुंच है पर आसपास कहीं हूं।
मिट कर भी बनाने के ईंट गाद बनेंगे
दुनिया को बनाने के आसपास कहीं हूं।
मै खास नहीं हूं मुझे मालूम है लेकिन
यह कहते हुए डरता हूं, ‘कुछ खास नहीं हूं।’