खुद को तोड़ा तो हर एक जुज बड़ा निकला मुझसे
बिगाड़ में भी नया बन के कुछ निकला मुझसे
कई समुन्दरों का जल, कई मुल्काें का दर्द
भरा हुआ था वही फूट कर निकला मुझसे ।
खुद को तोड़ा तो हर एक जुज बड़ा निकला मुझसे
बिगाड़ में भी नया बन के कुछ निकला मुझसे
कई समुन्दरों का जल, कई मुल्काें का दर्द
भरा हुआ था वही फूट कर निकला मुझसे ।