अब हम पाकिस्तान के साथ प्रेम भाव से बात कर सकते हैं। वह शान्ति की भाषा नहीं समझ पाता था। प्रमाण प्रमाण नहीं लगते थे। बिनु भय होय न प्रीति के तर्क से वह अपनी भाषा बदल कर हमारी भाषा सीख सकता और सबसे बहिष्कृत हो कर पुनर्विचार आरंभ कर सकता है। मोदी ने पहले उसे कूटनीतिक पराजय दी, और फिर सैनिक विकल्प का निर्णयात्मक उपयोग करते हुए अपना संदेश भेज दिया। युद्ध किसी के लिए श्रेयस्कर नहीं, युद्ध के भय से समर्पण कर देना हार है। मोदी ने सही समय, सही नीति और सही कदम उठाया। पाकिस्तान के पूर्वी सीमान्त क्षेत्र में यह भ्रम पैदा करने के बाद उसे मुगालते में रखने के बाद कि इनके पास सिन्धुजल विवाद और विकास की चुनौती के आगे कोई विकल्प ही नहीं है, अपना काम अंजाम दिया। यह बड़ी सफलता है, परन्तु इसका दुन्दुभि नाद न करें तो परिणाम अधिक अनुकूल होंगे। आज के माहौल में काेई देश युद्ध का विकल्प नहीं चुन सकता, न ही डर से दुबक कर अपने स्वत्व की रक्षा कर सकता है। भारति जय विजय करे। कनक सस्य कमल धरे। आर्थिक विकास ही विजय की गारंटी है, शस्त्र हो पर उसका प्रयोग करने की नौबत न आए। युद्ध विजित को नष्ट कर देता है, विजेता को भी नि:सत्व कर देता है। यह अन्तिम विकल्प है और इसी रूप में मोदी ने इसे लिया है। मा भैषी:।