पता मुझे न अदालत को पता है तो सही ।
जबां से जो नहीं निकला वह कहा है तो सही ।।
तेग की धार पर चलना है मुहब्बत करना ।
कहा मैंने नहीं पर मैंने सुना है तो सही ।।
न जिन्दगी सही, अफसाना सही तो होता।
निशान एक मगर फिर जुड़ा है तो सही ।।
तुझको जो खत लिखे मैंने वे मेरे पास नहीं ।
जिस पर आंसू गिरा वह सादा सफा है तो सही।
सोचता हूं कि कहां चूक हुई थी मुझसे
लकीर सीधी है मजमून खुला है तो सही ।।
एे मेरी जां तुझे हर हाल में अपना माना
खुश नहीं मुझसे न हो, मुझसे खफा है तो सही।
मिलना भी ठाना तो रिश्ते को तर्क करने को
आह भरने की वजह अबकी दफा है तो सही ।।
28.9.16