Post – 2016-09-19

दिल तो छोटा था, न इतना कि मुहल्‍ला न बसे
मारने वालों, जिलाने की फिकर वालों का
खोटी किस्मत थी, न इतनी कि तुम्‍हें पा न सकूं
दिल जले, जलता रहे, तुम पर मरने वालों का।
उम्र थोड़ी थी, न इतनी कि गिला कर न सकूं
जख्‍म गहरा था, अधिक कुछ है देने वालों का।
ऐ मेरे दोस्‍त तुम्‍हें पा के भी अपना न सका
था करिश्‍मा हमें बर्वाद करने वालों का ।
तुमने पूछा कि तुम्‍हें प्‍यार किया था कि नहीं
जवाब था न मेरे पास इन सवालों का।
चलो भगवान से लें राय, सही था क्‍या जवाब
‘जिन्‍दगी पर तो है अधिकार मरने वालों का।’