Post – 2016-08-28

मेरे साये में तुम्‍हारा भी अक्स आता है ।
एेसे आईने हैं जिनमें यह अक्‍स आता है।
तुम न समझोगे जिसे जानता भगवान नहीं
पर हकीकत है कि आता है अक्‍स आता है ।
तुममे कितना बचा, जिसको था समझता अपना
तू भी अपना था कभी कुछ तो याद आता है ।
क्‍या हुआ, क्‍यों हुआ, कारीगरी मालूम नहीं
भरम मिटाओ तो बढ़ता ही चला जाता है।
इतना लिखता है कि पढ़ने का वक्‍त है ही नहीं
बहुत कुछ होके सिफर बनने पर आमादा है ।।