एक पुरानी तुकबन्दी
जिन्दगी ऐसे गुजारी कि कोई गम न रहा।
दुखों का बोझ कभी जिंदगी में कम न रहा।
झेलते खेलते रखता हुआ पल वल का हिसाब
घाव भरते गए अब दर्द एकदम न रहा।।
06/10/06
एक पुरानी तुकबन्दी
जिन्दगी ऐसे गुजारी कि कोई गम न रहा।
दुखों का बोझ कभी जिंदगी में कम न रहा।
झेलते खेलते रखता हुआ पल वल का हिसाब
घाव भरते गए अब दर्द एकदम न रहा।।
06/10/06