Post – 2016-08-02

न ही उस शोर में शामिल न इस सन्‍नाटे में
न मुनाफे की ही सोची न रहे घाटे में ।
कहा कुछ भी तो कहा जोड़ कर न छोड़ कर कुछ
गरूर वालों को भी कुछ तो मिला चॉटे में।
प्‍यार से उनको खार जार में ले जाता हूं
जो फर्क करना जानते न फूल कांटे मे ।
यूं ही भगवान को भगवान नहीं कहते लोग
वह बदल देता है हर शोर को सन्नाटे में ।।