Post – 2016-07-29

है कैद
वही आग
समन्दर में
काठ में
जब दिल में धधकती है
संभाली नहीं जाती
बर्वादियों के रास्ते
यूं तो हैं कई पर
तू जिस पर चलाए
कभी खाली नहीं जाती
28 जुलाई 2016

वे छिप कर बात करते हैं
छिपा कर बात करते हैं ।
यह हम है दुश्मनों को भी
बता कर बात करते हैं।

जो करते कुछ नहीं
वे भी जबां सी कर नही रहते
गलत कहते हैं फिर भी
फख्र से वे बात करते हैं।

जो बैठे फेर कर मुंह
भेजतेे लानत मलामत हैं
उन्हें भी बख्‍श कर इज्‍जत
बुला कर बात करते है

बुरा हो उनका जो सच का
तराजू लेके बैठे हैं
तराजू को झुका कर
और तन कर बात करते हैं।

जहां बातें रुकीं बकवास
का दौरे अमल होगा
यह समझाने को उनके घर भी
जा कर बात करते हैं

कहीं भगवान तुझको
रास्ते में मिल गया था क्या
वह कहता था गलत सच को
मिला कर बात करते हैं।

यह है ऐसा नशा लत
इसकी तुमको पड़ गई यारो
न जानोगे कि कैसे लोग
क्या क्या बात करते हैं।

मुझे तुम पर तरस आता है
पर अकड़े हुए तुम हो
हम अपनों में तुम्हें
गिनते हुए यह बात करते हैं।
28 जुलाई 2016