Post – 2016-07-20

एक नुस्‍खा है घर जलाने का
अच्‍छा मौका है आजमाने का
ितनका ितनका बिखर रहा सा है
हाल ऐसा है आशियाने का ।
जर्रों को आफताब बनना है
कान में उनके यह बताने का
जिन्‍दगी में न कुछ किया न सही
आज है वक्‍त कर दिखाने का ।
नामा भी नाम भी नुमायश भी
और क्‍या चाहिए जमाने का ।
हाथ दो, फिर हुनर सिखाता हूं
राख से घर नया बनाने का।
सूखी बारूद बन रहो साथी
क्रान्ति तो नाम है मिटाने का ।
तुमने भगवान कभी सोचा थां
ऐसा दिन देखने दिखाने का ।।.