फकत आगाज था वह तो अभी अंजाम बाकी है।
अभी आधा हुआ है और आधा काम बाकी है।।
अभी तो रंगो रानाई की लम्बी शाम ठहरी है
तेरे हिस्से की पी है, और मेरा जाम बाकी है।।
तुम्हारे नाम लिखता और तुम्हें ही सौंपता आया ।
तुम्हारे नाम के नीचे मेरा सरनाम बाकी है ।।
अभी तो सुगबुगाहट ही हुई है पूरी महफिल में ।
अभी तो मौज बाकी है अभी तूफान बाकी है ।।
अभी पायल बंधे है और लाखाें लुट गए देखो।
तुम्हारे हुस्न का और रक़्स का तूफान बाकी है ।।
बहुत कुछ लुट गया फिर भी मेरी लुटने की मजबूरी ।
न है सामान घर में पर मेरा ईमान बाकी है ।।
खुदारा तू बचा इसको बुलंदी चाहता है तो ।
वगर्ना जान देने को तेरा नादान बाकी है ।।
मिले मुद्दत हुई भगवान से पर याद आता है
किसी ने कल कहा मुझसे कि वह शैतान बाकी है।।
23 जून 2016