Post – 2016-06-21

एक सन्नाटा है पसरा हुआ सन्नाटे सा
कई युगों की दहाड़ों से पुकारों से बना !
उसी में धुलता हुअा आर्तनाद भी है एक
कई युगों के साफ पाक विचारों से बना
कट गए मिट गए हैवानों के जंगल कब के
एक जंगल है गगनचंुबी मकानो से बना।
उन्हीं में गूंजता टकराता हुआ घूमता है
चैनलों, खबरनवीसो के बयानों से बना
काटने, कटने, मिटा, मिट कर बचाने का जुनून
कमीनेपन से और खाने कमाने से बना ।
कोई सुनता नहीं भगवान तेरा राग है यह
कई तंजों से कई तरह के तानों से बना ।

21 जून 2016