आज का दिन शगल में ही निकल गय। सोचा विषय पर लौटूं पर लगा आराम बड़ी चीज है सिर तान के लिखिए लिखने काे न हो कुछ तो अधिक शान से लिखिए, इस लिए सोचा आज का दिन इन पंक्तियों के साथ ही विदा ले:
सोचिए हम भी उसी राह के पत्थर नि`कले
जिस पर सर फोड़ कर बैंडेज लगाए फिरते थे
देखिए हम भी उसी इश्क में बर्वाद हुए
जिसके चर्चे भी जहां से छिपाए फिरते थे!
देखिए हमको बहुत याद आ रहे हैं आप
आप हमको हम आपको मिटाए फिरते थे
देखिए कितने भरम टूटते हैं बनते हुए
सोचिए हम भी कभी सिर झुकाए फिरते थे