Post – 2016-06-20

क्षेपक

उसने मुझसे पूछा, “नई जगह कैसी लगी।”
मैंने कहा, “पहले तो बहुत पसन्द आई, सोचा यहाँ के लोग खासे शरीफ हैं. पर अब पता चला कई ने कुत्ते पाल रखे हैं।”
“क्यों क्या तुम कुत्ता पालने वालों को शरीफ नहीं समझते?”
भई, सोहबत का असर तो पड़ेगा न!”
“तुम्हारे फेसबुक मित्रों में भी बहुतों ने पाल रखे होंगे । गालियां देंगे तुम्हें ।”
“कुत्ते की संगत में रह कर और दे भी क्या सकते हैं !”
तुम्हे कुत्ता पालने वालों से इतनी चिढ़ क्यों है यार ?”
“तुमने कुछ सुविधाओं से वंचित इलाको में फुटपाथ पर निबटते लोगों को देखा होगा । गुस्सा भी आया होगा और उनकी विवशता पर दया भी आई होगी पर इनके बारे में क्या कहोगे जो बीच फुटपाथ पर शौकिकया, अकड़ के साथ बाइ प्राक्सी लीद करते हैं । इसे सोहबत का असर नहीं कहोगे तो और क्‍या कहोगे।