कैसे कैसे मोदी
तुम नाहक उस पर नाराज हो गए थे। वह कहीं नहीं जा रहा है। और लोग कहते हैं और वह भी मानता है कि वह ठीक कह रहा था।
मैं भी जानता था कि वह कहीं नहीं जाएगा, क्योंकि दुनिया में मुसलमानों का केवल एक ही देश है भारत।
मैं भी जानता था कि वह ठीक कह रहा था। वही नहीं उस जैसे सारे मुसलमान, असुरक्षित अनुभव कर रहे हैं और तब तक असुरक्षित अनुभव करते रहेंगे जब तक इस्लाम के नाम पर नृषंसता खत्म नहीं होती। उस पर उनका नियन्त्रण नहीं है इसलिए आज दुनिया के सारे शान्तिप्रेमी मुसलमान अपने भीतर ग्लानि अनुभव कर रहे हैं कि लोग भले प्रकट करें या न करें, हमें शक की नजर से देख रहे हैं। वह भी उन्हीं शान्तिप्रेमी मुसलमानों में से एक है।
तुमने यह क्या कह दिया कि दुनिया में मुसलमानों का केवल एक ही देश है, भारत। संघ वालों से पूछ लिया करो ?
संघ वाले भी मानते हैं कि मुसलमान केवल भारत में सुरक्षित हैं। सभी तरह के मुसलमान। पाकिस्तान और बांग्ला देश मुस्लिम देश नहीं हैं, वे सुन्नी देश हैं । उनमें शिया मुसलमानों के लिए जगह नहीं। ईरान मुसलमानों का देश नहीं शिया लोगों का देश है उसमें सुन्नी सम्मान से नहीं रह सकते। दूसरे मुस्लिम देषों का भी यही हाल है। यदि शिया सुन्नी दोनो रहते है तो दोनों एक दूसरे के पीछे पड़े रहते हैं। अकेला भारत है जिसमें सभी प्रकार के मुसलमान, सभी धर्मो के लोग रहते हैं और यह उन सबका अपना देश है। क्योंकि यह हिन्दू देश है. इसमें सनातनी और पोंगापंथी भी रह सकते हैं क्योंकि इसकी यह उदारता और सहिष्णुता हमने भारी मूल्य देकर अर्जित की है. इस कीमती विरासत को हम प्राणों से भी अधिक प्यार करते हैं इतने जख्म खाने के बाद भी। इतनी लानत-मलामत के बाद भी। इसे तुम समझ नही सकते. जो इतिहास तुम पढ़ते और गढ़ते रहे हो उसमें इसी को नष्ट किया जाता रहा. संघ वाले वहाँ गलती करते हैं जहाँ कहते हैं वन्दे मातरम कहना होगा। इस कहना होगा में अपेक्षा नहीं उद्दंडता है, और यह उतना ही नागवार है जितना कोई मुझसे कहे कि चन्दन लगाना ही होगा, या जनेऊ पहनना ही होगा।
मोदी इसी संकीर्ण संघ-चेतना से आगे बढ़ कर राष्ट्रीयता की नई परिभाषा रच रहा है। जाति-धर्म से ऊपर एक ऐसी महिमामय राष्ट्रीय चेतना का निर्माण जिसकी कल्पना इससे पहले किसी ने की नहीं। जो इतना उदात्त लगता है और मोदी के संघ से संबन्ध के कारण इतना अविश्वसनीय लगता है कि इसके प्रमाण सामने होने पर भी तुम विश्वास नहीं कर पाते। यदि विश्वास करते हैं तो संघ वाले, विश्व हिन्दू परिषद वाले, रामनामी ओढ़ कर राजनीति के स्वाद के लिए लालायित लोग जो जो तुमसे अधिक बौखलाए हुए हैं. घबरा कर ऐसे मौकों पर ऐसे वचन बोलते रहते हैं जिससे मोदी के मंसूबों पर पानी फिर जाय। यदि विघटनवादी हिन्दुत्व न रहा तो उनका अस्तित्व मिट जायेगा।
तुम मुझसे इतने सवाल करते हो, क्या तुम बता सकते हो ब्राह्मणवाद और हिंदुत्व में क्या अंतर है?
क्या ब्राह्मण हिन्दू नही होता?
हिंदुत्व में ब्राह्मण के लिए भी जगह है, इस्लाम के लिए भी जगह है, ईसाइयत आदि के लिए भी जगह है, परन्तु ब्राह्मणवाद में, इस्लाम में, ईसाइयत में हिन्दुत्वा के लिए जगह नहीं है। ये सभी इंसान को बाँटते हैं. तीन कनौजिया तरह चूल्हा वाली कहावत सुनी है न. मजहबी लोग इंसानियत को तोड़ते हैं। हिंदुत्व जोड़ता. वसुधैव कुटुम्बकम हिन्दुत्वा का मूल मंत्र है. ब्राह्मणो अस्य मुखमासीत् ब्राह्मणवाद का मंत्र है. मोदी की सबसे बड़ी विशेषता यह नहीं है कि वह चाय वाले का बेटा है बल्कि यह कि उसने ब्राह्मणवाद की पीड़ा को भी अनुभव किया है। एक छोटी सी भूल के बाद उसने लगातार जोड़ने वाला काम किया है. वह उस जोड़ने वाले हिंदुत्व का वाहक है, संघ की चेतना में ब्राह्मणवाद है. मोदी इससे आगे जाना चाहता है, संघ उसे पीछे खींचना चाहता है. संघ और दूसरे अजगलस्तनों का नारा रहा है मंदिर यहीं बनाएंगे, मोदी का देवालय से अधिक ज़रूरी शौचालय है।
यह सब झाँसा देने के लिए है भाई. तुम मुखौटे को असली चेहरा मान बैठे हो. हमें तुम जो कहते हो वह नहीं दिखाई देता, कुछ और दिखाई देता है.
दिखाई तक देगा भी नहीं। पैरानोइया को हिन्दी में क्या कहेंगे, याद नहीं, इसकी परिभाषा तुम किसी डिक्शनरी में देख लेना। जैसे कोई व्यक्ति पैरानाएड होता है वैसे ही लम्बे प्रचार और आत्मनिर्देशन से पूरा समाज या उसका बहुत बड़ा हिस्सा इसका शिकार हो जाता है। जो साधारण से साधारण आदमी को दिखाई देता है वह तक उसे दिखाई नहीं देता। इसकी सबसे ताजी मिसाल बेंगलूरु के एक कालेज की छात्राओं के बीच उपस्थित राहुल गाँधी थे। वह पूछते हैं अमुक काम तुम्हें दिखाई देता है, वे एक स्वर से कहती हैं, ‘हाँ’। वह कहते हैं मुझे दिखाई नहीं देता। फिर सोचते हैं दुबारा पूछ देखूँ, फिर जवाब मिलता है, हाँ दिखाई देता है। वह कहते हैं मुझे दिखाई नहीं देता। बच्चियाँ थी, जी में आया भी हो कि कह दें किसी मनोचिकित्सक के पास जाना था, यहाँ क्यों चले आए। अब तुम समझे तुम्हें कुछ क्यों दिखाई नहीं देता।
मुझसे बुरी हालत तो तुम्हारी है, इतने सारे लोग लगातार असुरक्षा देख रहे हैं, और वह तुम्हें दिखाई देता ही नहीं।
पहली बात यह कि वे देख कुछ नहीं रहे हैं, उन्हें भ्रम हो रहा है। जो देख रहे हैं वह दृष्टिभ्रम है, श्रुतिभ्रम है, हैल्यूसिनेशन है, क्योंकि एक को वह कहीं दिखाई दे रहा है दूसरे को कहीं। वे लगातार बोल रहे हैं और काफी ऊँची आवाज में बोल रहे हैं और कहते हैं बोलने की आजादी छिन गई है, हाल इमर्जेंसी से बदतर हो गए हैं। ये सभी पैरानोइया के ही लक्षण है। और पूछो कि आप चाहते क्या हो तो यह तक बता नहीं सकते। क्योंकि उन्हें किसी घटना से असुरक्षा नहीं अनुभव हो रही है। मोदी से असुरक्षा अनुभव हो रही है। यह तो कह नहीं सकते कि मोदी को सत्ता से हटा दो तो हमारी असुरक्षा मिट जाएगी।
और जानते हो इसका कारण क्या है? कारण यह है कि मोदी ऐसे काम कर रहा है जो किसी कि कल्पना तक में नहीं आया था. वे दर गए हैं कि यदि इसे पुरे पांच साल भी बेरोक टॉक काम करने को मिल गया तो हमारे दिन सदा के लिए लड़ जाएंगे.
तुम कहते हो वह बोले, पहले तुम तो बोलो कि तुम क्या चाहते हो। कह नहीं सकते और इसीलिए तुम इतने लोग इतने स्वरों में बोलते हुए भी केवल गुर्रा रहे हो । कह कुछ नहीं पा रहे। इंसानियत का स्तर इतना नीचे तुमने गिराया है मोदी तुम्हें भी ऊपर उठाना चाहता है। विश्व स्तर का मानव बनाना चाहता है जो अभी तुम बन नहीं पाए हो।
तुमने अपने अपने राम लिखा। अपने अपने मोदी क्यों नहीं लिख मारते।
इस पर शाम को बात करेंगे.