जो चले जाते हैं अक्सर वे चले जाते हैं
“साकिने कूचए दिलदार इधर आते हैं”
यह भी हो सकता है सोचा ही नहीं था पहले
यह भी कर सकते हो यह सोच कर घबराते हैं
गो मुहब्बत में अदावत की जगह थी पहले
अब अदावत में मुहब्बत के सुर मिलाते हैं
परदे के पीछे तो हुंकार ही हुंकार ही है
मंच पर सादा आप ज़्यादा नज़र आते हैं.
‘एक औज़ार है नफ़रत भी’ कहा था किसने
आप उसके ही सर्वहारा नज़र आते हैं
मैंने भगवान से पूछ कि यार चुप क्यों है
बोला हम सच नहीं अफ़साना नज़र आते हैं .
10/16/2015 8:29:07 PM