आज वह बहुत खिन्न था. बोला, “देखा, कश्मीर विधान सभा में भाजपा के विधायकों ने एक इंजीनियर को इस लिए पीट दिया कि उसने गोमांस के प्रति दुराग्रह को चुनौती देने के लिए गोमांस की एक खुली दावत दी थी”.
मैंने पूछा, “इंजीनियर विधान सभा में पहुंचा कैसे?”
“वह विधायक था.”
“फिर वह इंजीनियर कैसे हुआ?”
“पहले वह इंजीनियर था.”
“जब वह पीटा गया तब, वह् क्या था. इंजीनियर या विधायक?”
अब उसकी आवाज़ नरम पड़ गयी थी, ‘था तो विधायक ही.”
“फिर तुम उसके इतिहास पर बात कर रहे थे या वर्तमान पर? तुम खुलकर बात करना चाहते थे या अपने को सही साबित करना चाहते थे?”
वह झुँझला गया, “मैं उस नतीजे की बात करना चाहता था जो इसके बाद आएगा.’
मैंने कहा, उसने जो प्रतिज्ञाएँ की थी उनका पालन किया था या नहीं ? यदि हाँ और उनमे किसी भारतीय की भावनाओं को आहत न करने की प्रतिज्ञा भी हो तो उसने उसका उल्लंघन किया था और इसलिए उसका पीटा जाना ज़रूरी था. पर पीटने वाले सही न थे इसे तुम कल समझना.