क्या ज़माना था लोग हँसते थे
देखकर उनको हम भी हँसते थे
हँसाने को नहीं मिलता जब कुछ
हम एक दूसरे पर हँसते थे.
सोचते थे कि सोचना होगा
न सोचने की लत पर हँसते थे
बहुत कम था हमारे पास मगर
मुफलिसी में भी खुलकर हँसते थे
आप की तोंद यूँ ही भारी है
तोंद आगे है आप हैं पीछे
तोंद से पूछते कि था यह कभी
लोग रोते हुए भी हँसते थे
तड़पते थे तो गीत गाते हुए
दर्द की आबरू बचाये हुए
गालियाँ मिलती थीं तो ‘दौर चले’
कहते थे लोग और हँसते थे.
हँसो हँसो और हँसो जल्दी तुम
पढ़ते थे और पढ़ के हँसते थे
आप हँसते हैं यह नहीं मालूम
सुना है आप कभी हँसते थे.
10/2/2015 9:31:20 PM