Post – 2015-09-14

उनकी महफ़िल में जो हिटलर का मैंने नाम लिया.
डर गए लोग कई ने तो जिगर थाम लिया.
मैंने हंसकर कहा वह मर भी गया सड़ भी गया
काँपते बोले कि कुछ होगा इंतज़ाम किया
मैंने पूछा कि है कितनों को मिटाया तुमने?
कितने सरसब्ज़ इलाक़ों को बियाबान किया.
सिर्फ तोहमत व हिकारत व ज़लालत दरपेश
तुमने इतना ही कलामो-सुखन के नाम किया
सिर्फ गोबेल के निशाने क़दम पर चलते रहे
न कहीं ईंट न पत्थर न क़त्लेआम किया.
न दारो रस्न, न जल्लाद, न खंज़र, न लहू
बस लिखा नाम और काटा और राम राम किया.
अपने चेहरे से उतारो ये मुखौटे तो सही
वह सुपारी तो दिखाओ कि जिस पर काम किया.
2015-09-14