Post – 2015-09-13

कई चिराग़ जलाए थे रास्ते में तेरे
कई निशान लगाए थे रास्ते में तेरे
भटक न जाये, फिसल जाये न ठोकर खाए
कई रहबर भी बिठाए थे रस्ते में तेरे
हुनर की दाद दें तूने बना लिए काँटे
फूल जो मैंने बिछाए थे रास्ते में तेरे
दुश्मने जान छिपा बैठा है तेरे भीतर
वह खुद-फरोश न आ जाए रास्ते में तेरे.
2015-09-13