Post – 2015-09-10

लोग कहते हैं कि कुछ चूक हुई थी मुझसे
तुम ही बतलाओ वक़्त क्या था माज़रा क्या था
सही जगह तो बताओ कि होश में आऊँ
मैं भी तो याद करूँ क्यों हुआ, हुआ क्या था
जगह अपनी तो बताओ कि कहाँ हो तुम खुद
तुम्हारे शोर का घाटा और फायदा क्या था
अब यकीन हम नहीं करते हैं किसी पर देखो
हिसाब की बही खोलो कहो लिखा क्या था.
2015-09-10
कहने को हम कुछ चले थे और क्या क्या कह गए
कह रहा था कौन किसके सामने चुप रह गए
किस अँधेरे से निकल कर कौंध सी फूटी उजास
भरना चाहा अंजली में, छूते छूते रह गए .
2015-09-10